तन्हाई कभी-कभी दर्द देती है तो कभी खुद से मिलने का मौका। ये शायरी उन लम्हों के लिए है जब आप अकेले होते हैं लेकिन शब्द आपके साथ होते हैं।

“तन्हा रहना सीख लिया है हमने,
अब भीड़ में भी खुद को अकेला पाते हैं।”

“वो जो पास रहकर भी दूर थे,
उनसे अब कोई उम्मीद नहीं रखते।”

“कभी हँसी, कभी आँसू – यही तो तन्हाई का मजा है,
किसी को चाहा था, अब खुद से प्यार करना सीखा है।”

अकेलापन एक सच्चाई है, जिसे स्वीकार करना ही समझदारी है। इस शायरी को पढ़कर आप खुद से जुड़ सकते हैं।
